रांची --राजधानी के दूसरे सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल सदर में एक करोड़ रुपए खर्च कर स्पेशल बर्न वार्ड तैयार किया गया था। सिविल सर्जन ऑफिस के ठीक पीछे बनाए गए इस वार्ड में काम भी 2017 में पूरा हो गया। इसके बाद हॉस्पिटल के अधिकारियों ने विभाग को भवन हैंडओवर लेने को लेकर पत्र भी लिखा। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। आज स्थिति यह है कि उस भवन में बर्न वार्ड तो नहीं खुला। अब अधिकारियों ने उस बिल्डिंग को किसी और विभाग को दे दिया है। जिससे कि आज भी हॉस्पिटल का अपना बर्न वार्ड नहीं बन पाया। वहीं इलाज को आने वाले मरीजों को रिम्स रेफर कर दिया जा रहा है। ऐसे में इलाज को आने वाले मरीजों की परेशानी कम होने की बजाय और बढ़ गई है।
दस बेड का बनाया जाना था बर्न वार्ड
सदर हॉस्पिटल कैंपस में दस बेड का बर्न यूनिट बनकर तैयार हो चुका था। जिससे की बर्न केसेस के मरीजों को अब इलाज के लिए यहां-वहां भटकना नहीं पड़ता. एक करोड़ की लागत से बनी इस यूनिट में मरीजों को सारी सुविधाएं देने की भी योजना थी। सिविल सर्जन को तत्कालीन डीएस डॉ वीके सिंह ने पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा था कि मुहर लगते ही यूनिट के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
सीएजी की रिपोर्ट में भी बर्न वार्ड नहीं
कंट्रोलर एंड ऑडिटर जेनरल ऑफ इंडिया ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी पुष्टि की है। जिसमें बताया गया है कि रांची समेत ईस्ट सिंहभूम, पलामू, रामगढ़ के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटलों में बर्न वार्ड ही नहीं बन पाया है। इस मामले में सदर हॉस्पिटल के डिप्टी सुपरिंटेडेंट सह डिस्ट्रिक्ट टीबी आफिसर डॉ एस मंडल ने कहा कि बिल्डिंग तो बनी थी। लेकिन उसके लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तलाश मुश्किल थी। चूंकि वहां पर स्पेशलिस्ट प्लास्टिक सर्जन चाहिए था। इस वजह से फिलहाल बर्न वार्ड को टाल दिया गया। अभी वह बिल्डिंग ब्लड बैंक के लिए दे दी गई है। जिसमें लेटेस्ट मशीनें लगाई जा रही है।