स्वदेश वाणी (डिजिटल डेस्क): यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। एक्सपर्ट्स मानते हैं दुनिया को पश्चिम और मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप में रूसी प्रभाव का सम्मान करना चाहिए। 2000 में सत्ता में आने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोवियत संघ के टूटने को अपमानजनक माना है और इसे व्यवस्थित करने के लिए लगातार काम किया है।
दरअसल, रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर दी है। व्लादिमीर पुतिन की मांग है कि यूक्रेन को नाटो गठबंधन में नहीं शामिल किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पूर्व सोवियत ब्लॉक देशों में सैनिकों की तैनाती के रूप में कटौती की जाए।
बता दे की, नाटो ने पुतिन की इन मागों को मानने से इनकार करते हुए कहा है कि गठबंधन में शामिल होना किसी देश का अधिकार है। इससे रूस को कोई खतरा नहीं है। पुतिन के आलोचकों का मानना है कि पुतिन सरकार को डर नाटो नहीं है। उन्हें डर है कि एक लोकतांत्रिक और समृद्ध यूक्रेन रूसियों को आकर्षित कर सकता है जो रूस में पुतिन के शासन के विकल्प की पेशकश कर सकता है। साल 2021 में पुतिन ने यूक्रेन और बेलारूस को लेकर कहा था कि रूस ने इन देशों का विभाजन आर्टिफिशियल है।